फ्लैग ऑफीसर, समुद्री प्रशिक्षण (एफओएसटी/ फोस्ट)

परिचय

1980 के दशक की शुरुआत में जब भारतीय नौसेना का वास्तविक अर्थों में तीन आयामी नौसेना के तौर पर विस्तार हुआ, तब संक्रियात्मक समुद्री प्रशिक्षण (ओएसटी) की आवश्यकता को स्वीकार किया जाने लगा। वर्ष 1982 तक पश्चिमी तट पर बॉम्बे तथा पूर्वी तट पर विशाखापत्तनम में युद्धपोत कार्य संगठन (डब्ल्यूडब्ल्यूओ) की स्थापना की जा चुकी थी। वर्ष 1992 में नौसेना डब्ल्यूडब्ल्यूओ की अवधारणा के आकार एवं कार्यक्षेत्र का विस्तार किया गया, तथा फ्लैग ऑफीसर, समुद्री प्रशिक्षण (एफओएसटी) के तौर पर एक स्वतंत्र संगठन की स्थापना की गई, जिसका मुख्यालय दक्षिण-पश्चिमी राज्य केरल के कोच्चि में स्थित नौसैनिक अड्डे में है। सात वर्षों की एक छोटी अवधि के भीतर, फोस्ट संगठन विभिन्न हथियारों एवं संवेदी उपकरणों की मदद से युद्धपोतों की भूमिका एवं काबिलियत तथा संघर्ष की क्षमता को बेहतर बनाने के लिए एक उपयोगी उत्प्रेरक में विकसित हुआ है।

संगठन

फ्लैग ऑफीसर, समुद्री प्रशिक्षण की ओर से भारतीय नौसेना के तीन प्रमुख नौसैनिक अड्डों को शामिल करते हुए कोच्चि, मुंबई और विशाखापत्तनम में स्थित तीन टीमों के माध्यम से संक्रियात्मक समुद्री प्रशिक्षण का संचालन किया जाता है।

अभ्यास दल

अभ्यास दल। मुंबई और विशाखापत्तनम में स्थित दलों को क्रमशः स्थानीय अभ्यास दल (पश्चिम) तथा स्थानीय अभ्यास दल (पूर्व) के नाम से जाना जाता है। वे कार्वेट से कम आकार वाले सभी श्रेणियों के जहाजों के साथ संक्रियात्मक समुद्री प्रशिक्षण करने में सक्षम हैं, जिसके अंतर्गत समुद्र तटीय सुरक्षा नौकाएं, मिसाइल नौकाएं, पनडुब्बी-रोधी गश्ती जहाज, महासागर कर्षण नौकाएं, आदि शामिल हैं। कोच्चि में स्थित दल को भारतीय नौसेना अभ्यास दल (आईएनडब्ल्यूटी) के तौर पर संदर्भित किया जाता है, जो विमान वाहक पोत, एएसडब्ल्यू एवं निर्देशित मिसाइल विध्वंसक, फ्रिगेट्स और अन्य बेड़े इकाईयों सहित सभी प्रकार के प्रमुख युद्धपोतों के साथ ओएसटी में सक्षम हैं।

सागर प्रशिक्षण की कार्य-प्रणाली

ओएसटी के लिए जहाज की रिपोर्टिंग के बाद उसे संरचित अभ्यास के दौरान अपने गतिक्रम को सफलतापूर्वक पूरा करना होता है, जिसके बाद दल के सभी सदस्यों तथा पूरे जहाज की कार्य-क्षमता का आकलन करने के लिए सभी विषयों से संबंधित प्रश्नोत्तरी एवं लिखित परीक्षा का आयोजन किया जाता है। इसके बाद प्रत्येक जहाज की आवश्यकता के अनुसार अभ्यास कार्य को अंतिम रूप दिया जाता है।

सागर प्रशिक्षण की कार्य-प्रणाली: इस प्रकार, जहाज की परिकल्पित भूमिका के निर्वहन तथा समग्र रूप से जहाज के प्रबंधन को कारगर बनाने एवं प्रदर्शन हेतु निर्धारित मानदंडों को प्राप्त करने के लिए, एफओएसटी के पूर्ण पर्यवेक्षण के अधीन आयोजित संक्रियात्मक सागर प्रशिक्षण के माध्यम से जहाज की बहुग्राही और व्यवस्थित प्रगति सुनिश्चित की जाती है। प्रत्येक अभ्यास हेतु निर्धारित अवधि की समाप्ति पर एफओएसटी समुद्र में परिचालनात्मक तैयारी का मूल्यांकन करता है और उन क्षेत्रों को रेखांकित करते हुए जहाजों की संक्रियात्मक स्थिति का प्रमाणन करता है, जिनमें निरंतर प्रशिक्षण / ध्यान देने की आवश्यकता होती है।

ओएसटी के अंतर्गत जहाज पर संचालित की जाने वाली सभी क्षेत्रों की गतिविधियों को शामिल किया जाता है, जिसके अंतर्गत प्रत्येक संक्रियात्मक /प्रतिरोध कार्य सहित, विमानन, जहाज प्रबंधन, जहाज का ढाँचा, नौकायन, एनबीसीडी, अभियांत्रिकी, विद्युत, रसद एवं चिकित्सकीय कार्य शामिल हैं। एफओएसटी की ओर से संचालित ओएसटी में सामग्री, रखरखाव, चालक दल की प्रवीणता और जहाज प्रबंधन को संपूर्ण, गैर-आरोप्य और उद्देश्यपरक तरीके से ध्यान दिया जाता है। ओएसटी का संचालन बंदरगाह एवं समुद्र में चार चरणों में किया जाता है, जिसके अंतर्गत एकल जहाज, एक से अधिक जहाज तथा जहाज / पनडुब्बी / विमान से संबंधित बहुआयामी संक्रियाओं को शामिल किया जाता है।

ओएसटी दरअसल चार चक्रों में ( रक्षा ठिकानों) संचालित किया जाता है एवं समुद्र में सिंगल शिप, मल्टी शिप एवं शिप/ सब्मरीन/ एयरक्रॉफ्ट मल्टी डायमेंशन ऑपरेशन को कवर करता है।

अन्य प्रशिक्षण संकुल

एफओएसटी अल्पावधि के प्रशिक्षण संकुल का भी आयोजन करता है, जैसे कि सागर सुरक्षा जांच (एसएससी) और संक्रियात्मक सागर जांच (ओएससी), जिसकी अवधि 7 से 10 दिनों की होती है और यह प्रशिक्षण किसी भी 2/3 चयनित विषयों में दिया जाता है, जिसके अंतर्गत पुल से संबंधित कार्य, क्षति नियंत्रण एवं अग्निशमन, मशीनरी अवरोध संबंधी अभ्यास तथा जहाज की सुरक्षा शामिल है।

अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें:

नौसेना संचालन निदेशालय,
एकीकृत मुख्यालय, रक्षा मंत्रालय (नौसेना),
नई दिल्ली – 110011,
भारत
दूरभाष:011-23010198,
फैक्स:011-23010143

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