ओपी विजय स्टार

Op Vijay Star

प्राधिकार

संख्या 116-Pres/2001 – माननीय राष्ट्रपति की ओर से अपार हर्ष के साथ वर्ष 1999 में 'ऑपरेशन विजय' में सशस्त्र सेना के जवानों एवं नागरिकों की सेवाओं के सम्मान स्वरूप इस पदक की शुरुआत की गई; और इस संबंध में निम्नलिखित अध्यादेश को तैयार, विहित एवं स्थापित किया गया

सर्वप्रथम: इस पदक को "ऑपरेशन विजय स्टार" के तौर पर नामित एवं निर्दिष्ट किया जाएगा (इसके बाद इसे पदक के रूप में संदर्भित किया गया है)

दूसरी बात: प्रवणित किरणों के साथ छह बिंदुओं वाले सितारे की आकार वाला यह पदक टोम्बेक कांस्य का बना होता है, जिसके एक बिंदु के आर-पार लंबाई 40 मिमी होती है, और इसके ऊपरी सिरे पर रिबन के लिए एक छल्ला बना होता है। इसके अग्र-भाग पर केंद्र में आदर्श वाक्य के ऊपर राजकीय चिह्न बना होता है, जिसमें राजकीय चिह्न के चारों ओर एक वृत्ताकार पट्टी (जिसकी चौड़ाई 2 मिमी और बाहरी किनारों पर व्यास 20 मिमी है) बनी होती है, जो शेरों के शीर्ष भाग पर खंडित होती है। इस पट्टी पर राजकीय चिह्न के दोनों तरफ उभरे अक्षरों में “ऑपरेशन विजय स्टार” उत्कीर्ण होता है। इस पदक का पृष्ठभाग सपाट होता है। पदक के सुस्थिर प्रतिमान को जमा और सुरक्षित रखा जाएगा।

तीसरी बात: इस पदक को सीने पर बाईं ओर रेशमी रिबन की मदद से धारण किया जाएगा, जिसकी चौड़ाई 32 मिमी होगी। यह रिबन स्टील ग्रे, लाल और हल्के नीले रंग के तीन समान भागों में विभाजित होगा, जिसमें प्रत्येक पट्टी की चौड़ाई 4 मिमी होगी।

चौथी बात: निम्नलिखित सैन्यबलों के सभी कर्मियों को इस पदक से सम्मानित किया जाएगा, जिन्होंने समुद्र में या हवा में या जमीन पर संघर्ष/संक्रिया क्षेत्र में दुश्मन के खिलाफ 'ऑपरेशन विजय' में भाग लिया था, जिससे संबंधित विवरण निम्नानुसार हैं

जमीनी ऑपरेशन

निम्नलिखित सैन्यबलों के सभी कर्मियों को इस पदक से सम्मानित किया जाएगा, जिन्होंने जमीन पर या हवा में कारगिल और उसके आसपास चलाए जा रहे ऑपरेशन में भाग लिया। युद्ध क्षेत्र/हवाई क्षेत्र में एक दिन की सेवा अथवा एक संक्रियात्मक सॉर्टी या युद्ध क्षेत्र में चालक दल के सदस्यों के रूप में कुल तीन घंटे की उड़ान को न्यूनतम अर्हक सेवा माना जाएगा।

  • सेना, नौसेना, वायुसेना के साथ-साथ किसी भी रिज़र्व बल, प्रादेशिक सेना और संघ के किसी भी अन्य सशस्त्र बलों के सभी रैंकों के सैनिक व अधिकारी।
  • अर्धसैनिक बल, केंद्रीय पुलिस बल और पुलिस बल के सभी रैंकों के कर्मी, जिन्होंने सेना के आदेश के तहत संक्रिया में भाग लिया अथवा ऑपरेशन विजय में सेना की सहायता की।

नौसैनिक ऑपरेशन

समुद्रिक युद्धक्षेत्र में तैनात कर्मियों के अलावा संक्रिया में भाग लेने वाले नौसेना के सभी कर्मियों को सम्मानित किया जाता है। युद्ध क्षेत्र में एक दिन की सेवा अथवा एक संक्रियात्मक सॉर्टी या समुद्रिक क्षेत्र में नौसेना या तटरक्षक विमान के चालक दल के सदस्य के रूप में कुल तीन घंटे की उड़ान को न्यूनतम अर्हक सेवा माना जाएगा। नौसेना के आदेश के तहत संक्रिया में भाग लेने वाले या ऑपरेशन विजय में नौसेना की सहायता करने वाले अर्धसैनिक बल भी इस सम्मान के योग्य होंगे।

हवाई ऑपरेशन

श्रीनगर, अवंतीपुर, लेह, थोईस और कारगिल से संक्रिया में भाग लेने वाले अथवा युद्ध क्षेत्र में 10 या अधिक दिनों तक तैनात रहने वाले वायुसेना कर्मी इस सम्मान के योग्य होंगे। इसके अलावा, कम से कम एक संक्रियात्मक सॉर्टी में उड़ान भरने वाले सभी हवाई कर्मी या युद्ध क्षेत्र में चालक दल के सदस्य के रूप में न्यूनतम 03 घंटे की उड़ान भरने वाले कर्मी भी इस सम्मान के योग्य होंगे, जिसमें उनकी संक्रिया के हवाई क्षेत्र को ध्यान में नहीं रखा जाएगा।

पाँचवीं बात: इस पदक के सम्मान हेतु निर्धारित युद्ध क्षेत्र और अर्हक क्षेत्र निम्नानुसार होंगे।

(भारत और निकटवर्ती देशों के मानचित्र को संदर्भित करता है) (प्रथम संस्करण) (40 मील)

युद्ध क्षेत्र

जमीनी ऑपरेशन के लिए

  • पश्चिम में, कार्बोला गली एमयू 0773 को जोड़ने वाली रेखा (सहित)- नारुब एन के साथ पॉइंट 3685 एमयू 0307- नारुब एमयू 0062 के साथ रमन नाला एमयू 0154 के साथ बाल्ब एन - बाइबनर बार एमयू 0546 - सोनमर्ग एमयू 1537
  • पूर्व में, श्योक नदी के पास चलुनका तक - टोबे लंगपा के किनारे नाला जून एनक्यू 5788 तक - दमखर लंगपा 5667 के साथ पॉइंट 5673 एनक्यू 5874 तक - दमखर एनक्यू 4858 (खालसी (शामिल नहीं) तक)

नौसैनिक ऑपरेशन के लिए

सौराष्ट्र तट के पश्चिम में और उत्तरी अक्षांश 20 डिग्री 41 मिनट से उत्तर की ओर तथा दीव से जाखन खाड़ी तक स्थल की ओर एक समुद्री मील के तटीय क्षेत्र को समुद्रिक युद्ध क्षेत्र के रूप में परिभाषित किया गया है।

हवाई ऑपरेशन के लिए

हवाई क्षेत्र को ध्यान में रखे बिना, एक संक्रियात्मक सॉर्टी अथवा युद्ध क्षेत्र में 3 घंटों की उड़ान।

पात्रता की अवधि 01 मई, 99 से 31 अक्टूबर, 99

छठी बात: एक सैन्यकर्मी, जिन्होंने किसी भी अवधि में वीरता पुरस्कार या प्रशस्ति-पत्र प्राप्त किया अथवा निर्दिष्ट क्षेत्रों में सेवा के दौरान शहीद या घायल या शारीरिक रूप से अक्षम हो गए, इस पदक के लिए योग्य होंगे। एक युद्धबंदी के तौर पर हिरासत की अवधि को भी पदक के लिए योग्य सेवा माना जाएगा।

सातवीं बात: किसी भी व्यक्ति के लिए पदक के पुरस्कार को रद्द करने और निरस्त करने तथा बाद में इसे पुनः प्रारंभ करने का अधिकार माननीय राष्ट्रपति के पास है।

आठवीं बात: इन अध्यादेशों को लागू करने के लिए सरकार द्वारा आवश्यक निर्देश दिए जा सकते हैं।

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