एयरो इंडिया 2021: आईओआर संगोष्ठी क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास (सागर) की दिशा में सामूहिक समुंद्री क्षमता का निर्माण

एयरो इंडिया 2021: आईओआर संगोष्ठी क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास (सागर) की दिशा में सामूहिक समुंद्री क्षमता का निर्माण

भारतीय नौसेना ने 04 फरवरी, 2021 को चल रहे एयरो इंडिया 2021 के दौरान क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास (सागर) की दिशा में सामूहिक समुंद्री क्षमता के निर्माण पर एक संगोष्ठी आयोजित की।

संगोष्ठी में मित्र देशों के रक्षा मंत्रियों/सेवा प्रमुखों/प्रतिनिधिमंडलों, शिक्षाविदों, विभिन्न मिशनों के राजनयिकों और मीडिया कर्मियों ने एक मिश्रित प्रारूप में भाग लिया जिसमें वे भौतिक और आभासी भागीदारी दोनों रूपों में शामिल थे।

नौसेनाध्यक्ष एडमिरल करमबीर सिंह पीवीएसएम, एवीएसएम, एडीसी, ने स्वागत भाषण दिया।

मुख्य भाषण रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने दिया। हमारे शास्त्रों से ऐतिहासिक ज्ञान का हवाला देते हुए उन्होंने कहा, “ऐक्यं बलं समाजस्य, तद्भावे सः दुर्बलः”, "जो स्पष्ट रूप से प्रतिपादित करता है, कि 'एकता किसी भी समाज की ताकत है, और एक समाज इसके बिना कमजोर है', आरएम ने भारतीय नौसेना द्वारा चुने गए संगोष्ठी के विषय की सराहना की, जो सामूहिक समुंद्री क्षमता के निर्माण को आकार देता है।

वैश्विक रणनीति में हिंद महासागर क्षेत्र की प्रमुखता ने कई राष्ट्रों को अपने रणनीतिक हितों को सुनिश्चित करने और समुंद्री क्षेत्र में चुनौतियों पर काबू पाने में सहायता करने के लिए इस क्षेत्र में अपनी उपस्थिति स्थापित करने को अनिवार्य किया है, जैसे समुद्री डकैती, समुद्री आतंकवाद, मानव तस्करी, अवैध असूचित और अविनियमित मछली पकड़ने, जैव विविधता की हानि और जलवायु परिवर्तन से जूझ रहे हैं। चूंकि ऊर्जा और व्यापार भू-राजनीतिक रणनीतियों में महत्वपूर्ण हैं, इसलिए सुचारू प्रवाह में किसी भी व्यवधान और अनुगामी अशांति के लिए हम सभी (क्षेत्र में) के लिए और दुनिया के लिए रणनीतिक सुरक्षा निहितार्थ होंगे।

सामूहिक विकास और समृद्धि सुनिश्चित करने के लिए यह जरूरी है कि हम सामूहिक आधार पर समुंद्री क्षेत्र में सक्षमता का निर्माण करें। भारत, आईओआर में अपने भू-रणनीतिक स्थान, सर्वोत्कृष्ट समुद्री चरित्र, तटवर्ती राज्यों के साथ ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंधों के कारण, समुंद्री क्षेत्र से उत्पन्न खतरे के खिलाफ एकता और एकजुटता के माध्यम से समुंद्री पड़ोसियों को सुरक्षित और निर्भय रखना अनिवार्य मानता है। हमारा मानना है कि एकता में हमारी ताकत निहित है।

हाल के वर्षों में, भारत ने इस क्षेत्र में 'सामूहिक विकास' की आवश्यकता से प्रेरित कई पहल की हैं, जिसमें नब्बे के दशक के उत्तरार्ध की 'लुक ईस्ट' नीति की हमारी पहलों को हाल ही में 'एक्ट ईस्ट' नीति और क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास (सागर) की हमारी समुंद्री पहलों को शामिल किया गया है। इन सभी पहलों ने पारस्परिक रूप से सहायक और सहयोगात्मक तरीके से आईओआर में संबंधों को मजबूत करने के लिए 'संपूर्ण सरकार' के दृष्टिकोण की आवश्यकता को रेखांकित किया है और हमने अपने साझेदार देशों से साझा चिंताओं की पहचान की है। ये चिंताएं, अनिवार्य करती हैं कि एक सामान्य लक्ष्य को पूरा करने के लिए हमारी प्रतिक्रिया को समकालिक और समन्वित किया जाना चाहिए।

भारतीय नौसेना ने प्राकृतिक आपदाओं के दौरान और कोविड काल के समय के दौरान आईओआर में 'प्रमुख उत्तरदाता' के रूप में अपनी प्रमुखता को बनाए रखा है। 'मिशन सागर' का उद्देश्य हमारे समुंद्री पड़ोसियों को चिकित्सा और मानवीय सहायता, खाद्य आपूर्ति प्रदान करना था। श्रीलंका में मोटर टैंकर डायमंड पर आग को काबू करने के लिए प्रदान की गई त्वरित सहायता, मॉरीशस से मोटर पोत वशिकओं से जुड़ी तेल रिसाव की घटना के बाद प्रदान की गई सहायता और इंडोनेशिया में लापता मछुआरे का पता लगाने के लिए शुरू किए गए खोज और बचाव प्रयास, ये सब अप्रत्याशित का जवाब देने के लिए हर समय सामूहिक तत्परता का संकेत थे।

माननीय आरएम ने इस बात पर जोर दिया कि, आईओआर में सुरक्षित समुंद्री वातावरण बनाए रखने की दिशा में इस क्षेत्र की नौसेनाएं/ समुंद्री एजेंसियां आईओआर में एक व्यापक समुंद्री कार्यक्षेत्र जागरूकता विकसित करने के लिए साझेदारी कर रही हैं।

रक्षा सचिव श्री अजय कुमार ने समापन भाषण दिया। उन्होंने महात्मा गांधी का उद्धाहरण देते हुए कहा, 'हर एक को आगे बढ़ना और विकसित होना चाहिए', उन्होंने प्रासंगिकता को आकर्षित किया, क्योंकि भारतीय नौसेना 'पसंदीदा सुरक्षा साझेदार' बनी हुई है और अंततः इसका उद्देश्य 'भरोसेमंद समुंद्री पड़ोसी' बनना है।

आईओआर की प्रासंगिकता पर बोलते हुए रक्षा सचिव ने इस बात पर जोर दिया कि किसी भी खतरे का 'चाहे मानव निर्मित हो अथवा प्राकृतिक' इस क्षेत्र के भीतर से या निकटवर्ती क्षेत्रों से, उसका जनसंख्या की आजीविका पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। मुद्दे, जो परेशान करते हैं, वे सीमाओं से सीमित नहीं होते और विशेष रूप से किसी विशेष संप्रभु राज्य के खिलाफ नहीं होते। इसलिए, नौसेनाएं/ समुंद्री एजेंसियां जो सीमाओं से भी सीमित नहीं हैं, और समुद्री क्षेत्र में सबसे परिश्रमी है, को एक दूसरे के साथ 'स्टेशन कीपिंग' द्वारा एक साथ काम करने का लक्ष्य रखने की आवश्यकता है।

संगोष्ठी के दौरान, सुरक्षा चुनौतियों से उबरने के लिए साझा समुंद्री सुरक्षा चुनौतियों की पहचान करने और सामूहिक समुंद्री क्षमता के निर्माण पर दो पैनल चर्चाएं आयोजित की गईं। विवरण नीचे दिए गए हैं।

पैनल 1-    आम समुद्री सुरक्षा चुनौतियों की पहचान करना

सभापति -     रियर एडमिरल एसजे सिंह, एनएम, कमांडेंट नेवल वॉर कॉलेज, गोवा

पैनलिस्ट:-
    • मेजर जनरल अब्दुल्ला शमाल, एमए, एमएससी, एनडीयू, ओपीएससी, मालदीव रक्षा सेना के प्रमुख

    • डॉ फ्रेडेरिक ग्रारे, अनिवासी सीनियर फेलो, दक्षिण एशिया कार्यक्रम, कार्नेगी एंडोमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस, वाशिंगटन डीसी (वर्चुअल)

    • वाईस एडमिरल प्रदीप चौहान (सेवानिवृत्त), महानिदेशक नेशनल मैरीटाइम फाउंडेशन, नई दिल्ली (वर्चुअल)

    • श्री पीएस राघवन, पूर्व अध्यक्ष एनएसएबी

    • एडमिरल रवींद्र चंद्रसिरी विजेगुनारत्ने, डब्ल्यूवी, आरडब्ल्यूपी एंड बार, आरएसपी, वीएसवी, यूएसपी, एनआई (एम), एनडीसी, पीएसएन, पूर्व चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ, श्रीलंका

पैनल 2 - सुरक्षा चुनौतियों से उबरने के लिए सामूहिक समुंद्री क्षमता का निर्माण

सभापति - रियर एडमिरल सुधीर पिल्लई (सेवानिवृत्त), एनएम

पैनलिस्ट:-
    • एडमिरल औरंगजेब चौधरी, एनबीपी, ओएसपी, बीसीजीएम, पीसीजीएम, बीसीजीएमएस, एनडीसी, पीएससी। पूर्व सीएनएस बांग्लादेश नौसेना

    • रियर एडमिरल वीके सक्सेना (सेवानिवृत्त), अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक, गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स लिमिटेड, कोलकाता

    • सुश्री जेन चान एस राजारत्नम स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज (आरएसआईएस), सिंगापुर में समुंद्री सुरक्षा कार्यक्रम की वरिष्ठ फेलो और समन्वयक (वर्चुअल)

    • टिमोथी वॉकर, समुंद्री परियोजना लीडर और वरिष्ठ शोधकर्ता, इंस्टीट्यूट फॉर सिक्योरिटी स्टडीज (आईएसएस), प्रिटोरिया (वर्चुअल)

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