केन्द्र सरकार की रियायतें एवं छात्रवृत्ति प्रसुविधाएँ — युद्ध में शहीद सैनिक की विधवा/दिव्यांग/सेवारत कर्मी

युद्ध में शहीद सैनिकों की विधवाओं/युद्ध के दौरान विकलांग होने वाले कर्मी या सेवानिवृत्त कर्मी/सेवारत सैन्यकर्मियों के लिए केन्द्र सरकार की रियायतें एवं प्रसुविधाएँ

शिक्षा

शैक्षिक रियायतें

ऑपरेशन पवन एवं मेघदूत में शहीद हुए सैनिकों सहित युद्ध के दौरान हताहत होने वाले या शारीरिक तौर पर अक्षम होने वाले सैन्यकर्मियों के बच्चें, जो शिक्षा विभाग के अधीन शैक्षिक संस्थानों में पढ़ रहे हैं, निम्नलिखित शैक्षणिक रियायतों के हकदार हैं (प्राधिकार: एजी शाखा, सेना मुख्यालय पत्र सं. 56268/नीति/एजी/सीडब्ल्यू 3(बी), दिनांकित 17 अगस्त 90 तथा मानव संसाधन विकास मंत्रालय (शिक्षा विभाग), पत्र सं. F.14-1/94-स्कूल-1, दिनांकित 10 नवंबर 95) :

  • संबंधित शैक्षणिक संस्थान की ओर से लिए जाने वाले शैक्षिक शुल्क एवं अन्य शुल्क से पूरी छूट,
  • बोर्डिंग स्कूलों और कॉलेजों में पढ़ाई करने वाले बच्चों के छात्रावास शुल्क के लिए अनुदान
  • किताब-कॉपी एवं अन्य अध्ययन सामग्रियों पर होने वाला पूरा व्यय
  • यदि गणवेश अनिवार्य हो, तो इस पर होने वाला पूरा व्यय

उपरोक्त रियायतें पहले डिग्री पाठ्यक्रम के लिए ही उपलब्ध हैं। हालांकि, यदि इस रियायत के लिए योग्य छात्र/छात्रा स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम में पढ़ाई कर रहा है/रही है, तो उसके लिए भी रियायत स्वीकार्य होगी।

शैक्षिक रियायतें निम्नलिखित बच्चों पर भी लागू हैं:

  • ऐसे अधिकारियों तथा अधिकारी रैंक से नीचे के कर्मियों (पीबीओआर) के बच्चें भी इसके हकदार होंगे, जिन्हें छह महीने की अवधि के लिए लापता घोषित कर दिया गया है अथवा लापता अधिकारी या पीबीओआर की वापसी की तारीख तक, जो भी पहले हो।
  • युद्ध में बंदी बनाए गए सैन्यकर्मियों के बच्चें।
  • 1971 के भारत-पाक युद्ध के दौरान शहीद हुए अर्धसैनिक बलों के सैन्यकर्मियों सहित सशस्त्र बलों के अधिकारियों एवं सैन्यकर्मियों की विधवाएं।
  • युद्ध में शहीद सैनिकों की विधवाओं के पुनर्विवाह के उपरांत भी उनके बच्चों को शैक्षिक रियायत दी जाएगी।

व्यावसायिक कॉलेजों में दाख़िला

चिकित्सा एवं अभियांत्रिकी (मेडिकल और इंजीनियरिंग)। प्राथमिकता के निम्नलिखित क्रम के आधार पर सैन्यकर्मियों की पत्नियों/विधवाओं और बच्चों के लिए केएसबी के माध्यम से अन्नामलाई विश्वविद्यालय में एमबीबीएस के लिए लगभग 28 सीटें एवं बीडीएस में एक सीट तथा अभियांत्रिकी महाविद्यालय में 2 सीटें उपलब्ध हैं:

  • युद्ध में शहीद हुए सैन्यकर्मी
  • युद्ध के दौरान शारीरिक तौर पर अक्षम होने वाले एवं सेवामुक्त किये गए सैन्यकर्मी
  • सैन्य सेवा के दौरान मृत्यु को प्राप्त करने वाले सैन्यकर्मी
  • सैन्य सेवा के दौरान शारीरिक तौर पर अक्षम होने वाले एवं सेवामुक्त किये गए सैन्यकर्मी
  • वीरता पुरस्कार/अन्य पुरस्कार विजेता

आईआईटी में सीटों का आरक्षण: हर साल आईआईटी मुंबई, दिल्ली, कानपुर, खड़गपुर, मद्रास और बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के प्रौद्योगिकी संस्थान में प्रवेश के लिए छह आईआईटी द्वारा एक संयुक्त प्रवेश परीक्षा आयोजित की जाती है। उपरोक्त सभी छह संस्थानों में से दो सीटें सैन्य बलों/अर्धसैनिक बलों के कर्मियों के बच्चों के लिए आरक्षित हैं, जो युद्ध के दौरान शहीद हो गए हैं अथवा स्थाई रूप से विकलांग हो गए हैं। हालांकि, ऐसे उम्मीदवारों के लिए संयुक्त प्रवेश परीक्षा में अर्हता प्राप्त करना आवश्यक है।

सैनिक एवं सैन्य विद्यालयों में आरक्षण

  • सैनिक स्कूल: सेवारत एवं सेवानिवृत्त कर्मियों के बच्चों के लिए 25 प्रतिशत सीटें
  • सैन्य विद्यालय: जेसीओ/ओआर के बच्चों के लिए 67 प्रतिशत और अधिकारियों के बच्चों के लिए 20 प्रतिशत सीटों का आरक्षण

राज्यों/संघ शासित प्रदेशों द्वारा सेवारत एवं सेवानिवृत्त कर्मियों के बच्चों के लिए व्यावसायिक कॉलेजों में सीटों के आरक्षण के बारे में राज्य/संघ शासित प्रदेशों के खंड में जानकारी दी गई है।

युद्ध स्मारक छात्रावास में रहने की जगह

विभिन्न रैजिमेंट केंद्रों में पहले से ही 35 युद्ध स्मारक छात्रावास बनाए गए हैं। ये सभी छात्रावास युद्ध में शहीद विकलांग अथवा शांति के समय निश्चित/अनिश्चित कारणों से मृत्यु को प्राप्त करने वाले सैन्यकर्मियों के बच्चों को अपने अध्ययन को जारी रखने में सक्षम बनाते हैं। केएसबी इन बच्चों को प्रतिमाह 600/- रुपये का शैक्षिक अनुदान देता है, परंतु अनिश्चित कारणों से होने वाली मृत्यु के मामले में प्रत्येक बच्चें को प्रतिमाह 300/- रुपये का अनुदान दिया जाता है। "राज्य/संघ शासित प्रदेशों में युद्ध स्मारक छात्रावास की अवस्थिति" का पता लगाने के लिए यहां Accommodation in War Memorial Hostels : External website that opens in a new windowक्लिक करें

चिकित्सा सहायता

पूर्व सेवा पेंशनभोगियों और उनके परिवारों के लिए सेवा अस्पतालों में उपचार के अधिकार

पूर्व-सेवा पेंशनभोगियों और उनके परिवारों को आरएमएसएपी 1983 के पैरा 296(ओ) के प्रावधान के तहत सेवा अस्पतालों में चिकित्सा का अधिकार दिया गया है। पेंशनभोगियों/विधवाओं को बिना किसी व्यवधान के उपचार हेतु अस्पताल में एक बेरोज़गारी प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना होगा, इसके लिए डीजीएएफ़एमएस पत्र संख्या 1630/डीजीएएफ़एमएस/डीजी 3ए, दिनांकित 08 अक्टूबर 86 देखें।

यह पात्रता कार्ड 01 जनवरी 94 से प्रभावी है।

सभी पूर्व सेवा पेंशनभोगियों/विधवाओं को सलाह दी जाती है कि वे जिला/राज्य सैनिक बोर्डों के माध्यम से मिलने वाला पात्रता कार्ड प्राप्त करें।

पूर्व सैनिकों/विधवाओं और आश्रितों के लिए चिकित्सकीय सुविधाएं

सेवा अस्पतालों एवं चिकित्सा प्रतिष्ठानों के माध्यम से: भूतपूर्व सैनिक, उनके परिवार के सदस्य तथा मृत सैन्यकर्मियों के परिवार के सदस्य, जो कि किसी भी तरह की पेंशन प्राप्त कर रहे हैं, वे सैन्य अस्पतालों के बहिरंग रोगी विभाग में निःशुल्क उपचार के हकदार हैं। इन कर्मियों को कुछ शर्तों के अधीन ऐसे अस्पतालों के अंतरंग रोगी विभाग में भी उपचार प्रदान किया जा सकता है। पूर्व सैनिकों और उनके आश्रितों को चिकित्सा सुविधाएं प्रदान करने के लिए सेवा मुख्यालय और केएसबी द्वारा प्रदान की गई निधियों से 24 एमआई कक्ष और 12 दंत केंद्र बनाए गए हैं। इन एमआई कक्षों और दंत केंद्रों की अवस्थिति निम्नानुसार है:

एमआई कक्ष एवं दंत केंद्र

  1. बड़े अस्पताल
    • बेस हॉस्पिटल, दिल्ली (3), दिल्ली कैंट
    • सीएच चंडीमंदिर, चंडीमंदिर (1)
    • एमएच, जालंधर जालंधर (1)
    • एमएच, अंबाला अंबाला (1)
    • 159 जीएच, फिरोजपुर
    • एमएच, अमृतसर
    • 166 एमएच, जम्मू
    • 167 एमएच, पठानकोट
    • बीएच, लखनऊ लखनऊ(1)
    • एमएच, देहरादून
    • बीएच, बैरकपुर
    • सीएच (ईसी), कोलकाता कोलकाता (1)
    • एमएच, जोधपुर
    • एमएच, आगरा कैंट
    • सीएच (एससी), पुणे पुणे (1)
    • आईएनएचएस अश्विनी, मुंबई मुंबई (1)
    • एएफ हॉस्पिटल, बैंगलोर बैंगलोर(1)
    • आईएनएचएस संजीवनी, कोचीन
  2. छोटे अस्पताल
    • एमएच, चेन्नई
    • एमएच, सिकंदराबाद
    • एमएच, जयपुर
    • एमएच, औरंगाबाद
    • एमएच, धर्मशाला
    • एमएच, फैजाबाद
    • त्रिवेंद्रम (1) -

राज्य सरकार के अस्पतालों के माध्यम से: सामान्य नागरिकों की तरह भूतपूर्व सैनिक भी अपने राज्य सरकार के अस्पतालों से चिकित्सकीय उपचार का लाभ उठा सकते हैं।

चिकित्सकीय उपचार के लिए वित्तीय सहायता

  1. यदि गंभीर रोग से पीड़ित भूतपूर्व सैनिकों का सैन्य अस्पताल में इलाज करना संभव नहीं है, तो उन्हें सभी असैन्य अस्पतालों में उपचार के लिए वित्तीय सहायता दी जाती है, बशर्ते उन्हें अन्य स्रोतों से समान सहायता नहीं मिली है। इसके विवरण निम्नानुसार हैं:

    Financial Assistance for Medical Treatment
    (i)बाईपास सर्जरी जेसीओ/ओआर और अधिकारियों के मामले में अधिकृत व्यय का क्रमशः 90% और 75%
    (ii) एंजियोग्राफी -उपरोक्त विवरण के समान-
    (iii) गुर्दा/वृक्क प्रत्यारोपण -उपरोक्त विवरण के समान-
    (iv) कैंसर/स्पैस्टिक पेरप्लेजिक -उपरोक्त विवरण के समान-  (प्रतिवर्ष 75,000/- रुपये तक सीमित)
    (v) कोरोनरी आर्टरी सर्जरी/एंजियोप्लास्टी -उपरोक्त विवरण के समान-
    (vi) ओपन हार्ट सर्जरी/वाल्व प्रतिस्थापन -उपरोक्त विवरण के समान-
    (vii) पेस मेकर प्रत्यारोपण -उपरोक्त विवरण के समान-
    (viii) स्ट्रोक -उपरोक्त विवरण के समान-
    (ix) आर्टिरीअल सर्जरी -उपरोक्त विवरण के समान-
    (x) प्रोस्टेट सर्जरी -उपरोक्त विवरण के समान-
    (xi) टोटल जॉइंट रिप्लेसमेंट -उपरोक्त विवरण के समान-
    (xii) डायलिसिस -उपरोक्त विवरण के समान-(प्रतिवर्ष 75,000/- रुपये तक सीमित)
  2. आवेदन की प्रक्रिया। पूर्व सैनिकों एवं उनके आश्रितों के लिए ऊपर पैरा (a) में वर्णित गंभीर बीमारियों के लिए चिकित्सकीय सहायता, केन्द्रीय सैनिक बोर्ड के माध्यम से उपलब्ध कराए जाते हैं। इसके लिए आवेदक को अपने जिला/राज्य सैनिक बोर्ड के माध्यम से सचिव, केएसबी, वेस्ट ब्लॉक 4, आर. के. पुरम, नई दिल्ली- 110066 को निम्नलिखित दस्तावेजों के साथ आवेदन करना होगा:

    • उपचार/ऑपरेशन के लिए खरीदी गई दवाईयों की मूल नकद रसीद, जो अस्पताल प्राधिकरण द्वारा प्रतिहस्ताक्षरित हो
    • अस्पताल द्वारा जारी डिस्चार्ज स्लिप/निर्धारित औषधि पर्ची की प्रतिलिपि
    • अगर मरीज को किसी सैन्य अस्पताल द्वारा भेजा गया है, तो इस मामले को संदर्भित करते हुए सैन्य अस्पताल द्वारा सिविल अस्पताल को लिखे गए पत्र की प्रतिलिपि
    • प्राप्त किए गए वित्तीय सहायता का विवरण, यदि कोई हो
    • दोबारा नौकरी प्राप्त करने की स्थिति में नियोक्ता द्वारा उपलब्ध कराई गई चिकित्सा सुविधाओं का विवरण
    • यदि आवेदक को असैन्य सेवाओं के लिए भी पेंशन मिल रही है, तो असैन्य प्राधिकरण द्वारा पेंशनभोगियों को दी जानेवाली चिकित्सकीय सुविधाओं का विवरण
    • डिस्चार्ज बुक/भूतपूर्व सैनिकों के पहचान पत्र/एजीआईएफ कार्ड के एमबीएस की प्रतिलिपि
    टिप्पणियाँ
    • केएसबी ने जेसीओ/ओआरएस और अधिकारियों के उपचार हेतु निर्धारित राशि के क्रमशः 90 प्रतिशत और 75 प्रतिशत का उनके खाते में प्रत्यक्ष भुगतान के लिए देश के विभिन्न विशेषीकृत अस्पतालों के साथ करार किया है। इस प्रयोजन के लिए, केएसबी की ओर से निर्गत पत्र को ईएसएम द्वारा संबंधित अस्पताल को भेजना आवश्यक है।
    • ऐसे पूर्व सैनिक, जो एजीआई/एएफजीआई चिकित्सा लाभ योजना के सदस्य रहे हैं और पहले से ही उनसे वित्तीय लाभ प्राप्त कर चुके हैं, तो किसी गंभीर बीमारी की स्थिति में अनुवर्ती उपचार के लिए उन्हें केंद्रीय सैनिक बोर्ड से वित्तीय सहायता प्राप्त करनी चाहिए, और उन्हें आगे एजीआई/एएफजीआई की किसी भी वित्तीय सहायता के लिए योग्य नहीं माना जाएगा।

यात्रा प्रसुविधाएँ

रेल यात्रा में रियायत। भारत सरकार ने परमवीर चक्र, अशोक चक्र, महावीर चक्र, कीर्ति चक्र, वीर और शौर्य चक्र पुरस्कार प्राप्तकर्ताओं के साथ-साथ इन वीरता पुरस्कारों के मरणोपरांत विजेताओं की विधवाओं को भारतीय रेल में एसी I/II श्रेणी द्वितीय श्रेणी में निःशुल्क की सुविधा प्रदान करने की घोषणा की है (रेल मंत्रालय की पत्र संख्या E(W)96PS 5 6/22, दिनांकित 23 फरवरी 96)।

आईपीकेएफ और कारगिल के शहीदों सहित युद्ध में शहीद होने वाले सैनिकों की विधवाओं के लिए भारतीय रेल की II श्रेणी में यात्रा के लिए रेल किराया में 75 प्रतिशत की रियायत उपलब्ध है। केएसबी द्वारा जारी किए गए आई-कार्ड (पहचान पत्र) के आधार पर इस रियायत का लाभ उठाया जा सकता है।

हवाई यात्रा में रियायत। निम्नलिखित श्रेणी के कर्मियों को इंडियन एयरलाइंस की घरेलू उड़ानों में हवाई यात्रा के किराए में 50 प्रतिशत की रियायत दी जाती हैं:

  • I एवं II श्रेणी के वीरता पुरस्कार प्राप्तकर्ता, जैसे कि परमवीर चक्र, अशोक चक्र, महावीर चक्र तथा कीर्ति चक्र
  • युद्ध में स्थायी रूप से विकलांग हुए अधिकारी और उनके परिवार के आश्रित सदस्य, जिन्हें सेवामुक्त कर दिया गया है
  • स्वतंत्रता के पश्चात हुए युद्ध में शहीद सैनिकों की विधवाएं

सीएसडी कैंटीन

कैंटीन सुविधाएं सेना के आदेश संख्या AO 32/84 के अनुसार, पूर्व सैनिक एवं उनके परिवार के सदस्य तथा न्यूनतम 5 वर्षों तक सेवारत पूर्व-रक्षा कर्मियों को यूनिट/प्रतिष्ठानों में उपलब्ध सीएसडी (आई) कैंटीन सुविधाओं का अधिकार दिया गया है। चिकित्सक आधार पर बाहर रहने वाले कैडेट/नए सिपाहियों को भी सीडीडी सुविधाओं का अधिकार दिया गया है। इसके अलावा, निम्नलिखित श्रेणियों के टीए कर्मी सेवानिवृत्ति के बाद भी कैंटीन सुविधाओं के हकदार हैं:

  • सतत सन्निहित सेवा के पेंशनधारक
  • सैन्य सेवा के दौरान विकलांग होने वाले सैन्यकर्मी
  • वीरता पुरस्कार विजेता

प्राथमिकता टेलीफ़ोन सुविधाएं

गैर-ओवाईटी/विशेष श्रेणी के तहत निम्नलिखित श्रेणियों के ग्राहकों को प्राथमिकता टेलीफोन कनेक्शन के पंजीकरण प्रभार के भुगतान और स्थापन शुल्क से छूट दी गई है, साथ ही वे सामान्य किराए के शुल्क में भी 50 प्रतिशत की छूट के हकदार हैं। हालांकि, वीरता पुरस्कार विजेताओं को सामान्य किराये के शुल्क में पूर्ण रियायत दी जाती है। (प्राधिकरण: संचार मंत्रालय (दूरसंचार सेवा विभाग), पत्र संख्या 2-47/92-PHA, दिनांकित 19 मार्च 1993, परिपत्र सं 7/2000, दिनांकित 13 जून 2000 और 2.47/92 PHA, दिनांकित 18 सितंबर 2000):-

  • तीन सेवाओं में वीरता पुरस्कार विजेता (परमवीर चक्र, अशोक चक्र, महावीर चक्र, कीर्ति चक्र, वीर चक्र और शौर्य चक्र)।
  • युद्ध में शहीद सैनिकों की विधवाएं
  • विकलांग सैनिक

ए.एफ.एफ.डी.एफ/आर.एम.डी.एफ/डी.एम.ए.सी.पी के माध्यम से केएसबी द्वारा प्रदान की जाने वाली वित्तीय सहायता सशस्त्र सेना झंडा दिवस कोष से दी जाने वाली वित्तीय सहायता

घर बनाने/घर की मरम्मत के लिए अनुदान। युद्ध में शहीद सैनिकों की विधवाओं, युद्ध में विकलांग हुए सैन्यकर्मियों को घर बनाने/घर की मरम्मत के लिए केएसबी, राज्य सरकारों द्वारा दिए गए 50% अनुदान की प्रतिपूर्ति करता है, जिसकी अधिकतम सीमा 10,000/- रुपये है (केएसबी पत्र सं. 105 SB (7)/EC/91/KSB/D, दिनांकित 16 नवंबर 92)।

युद्ध में शहीद सैनिकों की विधवाओं/युद्ध में विकलांग हुए सैन्यकर्मियों की बेटी के विवाह हेतु अनुदान। केन्द्रीय सैनिक बोर्ड, युद्ध में शहीद सैनिकों की विधवाओं या युद्ध में विकलांग हुए पूर्व सैनिकों, जिनकी विकलांगता 50 प्रतिशत से अधिक है, की बेटियों के विवाह के लिए 8,000/- रुपये का अनुदान देता है।

रक्षा मंत्री विवेकाधीन कोष से दी जाने वाली वित्तीय सहायता (आरएमडीएफ)

निम्नलिखित मामलों में केएसबी द्वारा आरएमडीएफ से वित्तीय सहायता पर विचार किया जाता है:-

FINANCIAL ASSISTANCE FROM RAKSHA MANTRI’S DISCRETIONARY FUND (RMDF)
(a) वृद्ध एवं लाचार पूर्व सैनिकों/पूर्व सैनिकों की विधवाओं को सहायता दो साल के लिए प्रतिमाह 1000/- रुपये
(b) अभावग्रस्त पूर्व सैनिकों/विधवाओं की बेटी के विवाह हेतु सहायता 8,000/‑ रुपये
(c) अभावग्रस्त पूर्व सैनिकों/विधवाओं को घर की मरम्मत के लिए सहायता 10,000/‑ रुपये
(d) बीमारी की प्रकृति और गंभीरता के आधार पर चिकित्सकीय उपचार अधिकतम सीमा 15,000/- रुपये
(e) अभावग्रस्त पूर्व सैनिकों/विधवाओं के बच्चों की शिक्षा अधिकतम 3 बच्चों के लिए XII कक्षा तक, प्रति बच्चा 100/- रुपये प्रतिमाह
(f) अभावग्रस्त पूर्व सैनिकों/विधवाओं से संबंधित अन्य मामले, जैसे कि प्राकृतिक आपदा, दुर्घटना अथवा ऐसी घटनाएं जहां उन्हें वाकई में सहानुभूति की आवश्यकता है 15,000/- रुपये से अधिक राशि का कोई लेन-देन नहीं होना चाहिए

ध्यान दें : आरएमडीएफ से वित्तीय सहायता के मामले संबंधित जिला/राज्य सैनिक बोर्डों द्वारा केएसबी को प्रस्तुत किए जाते हैं।

पेंशन पर रक्षा मंत्री की अपीलीय समिति (डीएमएसीपी)

जिन मामलों में परिवार पेंशन के दावे को अस्वीकार कर दिया जाता है या जहां विकलांगता न तो सैन्यसेवा के कारण हुई है और न ही इसके कारण गंभीरता बढ़ गई है, ऐसे में डीएमएसीपी द्वारा निम्नलिखित प्रकार के अनुदान दिए जाते हैं:

  • पूर्व सैनिकों के तीन बच्चों के लिए प्रतिमाह 25/- रुपये का शैक्षणिक भत्ता, जिन्होंने 01 जनवरी 1985 से पहले नामांकन कराया हो। 01 जनवरी 1985 या उसके बाद नामांकित कर्मियों के लिए अनुदान केवल दो बच्चों तक ही स्वीकार्य हैं। हालांकि, शैक्षणिक अनुदान की अधिकतम राशि 3,000/- रुपये तक सीमित है।
  • शहीद पूर्व सैनिकों के वृद्ध माता-पिता को 2,000/- रुपये तक की एकमुश्त राशि
  • शहीद पूर्व सैनिकों/विकलांग पूर्व सैनिकों की पत्नी को सिलाई मशीन की लागत
  • बेटी के विवाह के लिए 1,000/- रुपये का एक बार अनुदान

पेंशन के दावे की अस्वीकृति की स्थिति में, छह महीनों के भीतर पेंशन पर रक्षा मंत्री की अपीलीय समिति के समक्ष वित्तीय सहायता के लिए अपील की जानी चाहिए। अपीलीय समिति प्रत्येक मामले की योग्यता के आधार पर विचार करती है और तदनुसार वित्तीय सहायता दी जाती है, जिसका भुगतान बाद में संबंधित राज्य/जिला सैनिक बोर्ड के माध्यम से केन्द्रीय सैनिक बोर्ड द्वारा किया जाता है।

बर्मा सेना पेंशनभोगियों के लिए पूर्व-अनुग्रह भत्ता। बर्मा सेना के पेंशनभोगी, जो भारतीय नागरिक हैं और भारत में प्राप्त कर रहे हैं, उन्हें पूर्व-अनुग्रह भत्ता दिया जाता है ताकि उनकी मौजूदा पेंशन और राहत को 1,275/- रुपये प्रति माह तक बढ़ाया जा सके, जो 1 नवंबर, 1997 से प्रभावी है। ऐसे पेंशनभोगियों की मृत्यु की स्थिति में यह भत्ता उनके परिवारों के लिए स्वीकार्य होगा।

भूतपूर्व सैनिक तकनीशियनों के लिए टूल किट। सशस्त्र सैन्यबलों के झंडा दिवस कोष से टूलकिट प्रदान किए जाते हैं जिसकी अधिकतम राशि 2,000/- रुपये है, परंतु इसके लिए निम्नलिखित शर्तों को पूरा करना आवश्यक है:

  • ब्याज पर सब्सिडी के अनुदान की ऊपरी सीमा 10,000/- रुपये है, भले ही लिया गया ऋण इससे अधिक राशि का हो सकता है।
  • बैंकों के अलावा, प्रतिष्ठित सरकारी संगठनों/सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों, एलआईसी, आदि से लिया गया ऋण। निजी संगठनों को छोड़कर जीआईसी और हुडको को भी ब्याज सब्सिडी के दायरे में शामिल किया गया है, परंतु इन संगठनों द्वारा व्यक्ति को ऋण उसकी वास्तविक आवश्यकता तथा पुनर्भुगतान क्षमता के आधार पर दिया गया हो।
  • ब्याज पर सब्सिडी की दर और ऋण के पुनर्भुगतान की अवधि निम्नानुसार है:
    • सब्सिडी की अधिकतम अवधि पांच साल तक या ऋण के पुनर्भुगतान की अंतिम तिथि, जो भी पहले हो, होगी।
    • सब्सिडी की अधिकतम अवधि पांच साल तक या ऋण के पुनर्भुगतान की अंतिम तिथि, जो भी पहले हो, होगी।

केएसबी द्वारा प्रदान की जाने वाली संस्थागत कल्याण सहायता

सैनिक विश्रामगृह सुविधा

पूर्व सैनिकों के लिए अपने पेंशन संबंधी दावों के निपटान, जिला मुख्यालयों के दौरे, चिकित्सकीय उपचार, मुकदमेबाज़ी, आदि के दौरान अल्पावास की सुविधा के लिए पूरे देश में कई सैनिक विश्रामगृह बनाए गए हैं। वर्तमान में, देश भर में 243 सैनिक विश्रामगृह हैं। सैनिक विश्रामगृहों के विवरण के लिए यहांINSTITUTIONAL WELFARE ASSISTANCE PROVIDED BY KSB : External website that opens in a new windowक्लिक करें।

केन्द्रीय सैनिक बोर्ड द्वारा चेशायर होम/राफेल राइडर चेशायर अंतर्राष्ट्रीय केंद्र/क्यूएमटीआई को अनुदान दिया जाता है, ताकि अस्पताल में भर्ती भूतपूर्व सैनिकों/उनके आश्रितों की देखभाल की जा सके। वर्तमान में निम्नलिखित चेशायर होम/केंद्रों को अनुदान दिए जा रहे हैं

  • राफेल राइडर चेशायर अंतर्राष्ट्रीय केंद्र, देहरादून
  • चेशायर होम, तिरुअनंतपुरम
  • चेशायर होम, दिल्ली
  • चेशायर होम, लखनऊ
  • चेशायर होम, वेल्लोर
  • चेशायर होम, बैंगलोर (जी) क्यूएमटीआई, पुणे

भारतीय रेड क्रॉस सोसाइटी द्वारा संचालित कल्याण सेवाओं को अनुदान सहायता

सैन्य अस्पतालों में बीमार और घायल सैनिकों/पूर्व सैनिकों को भारतीय रेड क्रॉस सोसाइटी द्वारा दी जाने वाली कल्याण सेवाओं के लिए वार्षिक अनुदान प्रदान दिया जाता है।

भारतीय गोरखा पूर्व सैनिक कल्याण संगठन

भारतीय गोरखा पूर्व सैनिकों और उनके परिवारों की देखभाल के लिए केन्द्रीय सैनिक बोर्ड, भारतीय गोरखा पूर्व सैनिक कल्याण संघ, देहरादून को अनुदान प्रदान करता है।

रक्षा कर्मियों की विधवाओं के लिए पुनर्वास केंद्र/प्रशिक्षण-सह-उत्पादन केंद्र

वर्तमान में पूरे देश में 18 पुनर्वास केंद्र/प्रशिक्षण केंद्र/प्रशिक्षण-सह-उत्पादन केंद्र/व्यवसायिक प्रशिक्षण केंद्र हैं। ये केंद्र कटाई एवं सिलाई, बुनाई, कढ़ाई, टाइपिंग, आशुलिपि, कम्प्यूटर प्रोग्रामिंग, आदि में प्रशिक्षण प्रदान करते हैं। इन केंद्रों की अवस्थिति के विवरण के लिए यहांRehabilitation Centres/Training cum Production Centres for Widows of Defence Personnel : External website that opens in a new window क्लिक करें।

युद्ध में शहीद सैनिकों की विधवाओं/सैन्यकर्मियों की विधवाओं के लिए छात्रावास

केन्द्रीय सैनिक बोर्ड, विधवाओं के छात्रावास एवं वृद्धाश्रमों के निर्माण की लागत तथा बाद में इसके रखरखाव पर होने वाले व्यय के 50 प्रतिशत का वहन करता है। इस प्रकार के छात्रावास/गृह निम्नलिखित स्थानों पर अवस्थित हैं: बिहार (अल्बर्ट एक्का स्मारक परिसर, पटना), जम्मू-कश्मीर (जम्मू), महाराष्ट्र (मुंबई में युद्ध में शहीद नौसैनिकों की विधवाओं के लिए नौसेना युद्ध स्मारक छात्रावास), मध्य प्रदेश (महार रेजिमेंटल केंद्र, सागर और जम्मू-कश्मीर राइफल्स रेजिमेंटल केंद्र, जबलपुर), मेघालय (असम रेजिमेंटल केंद्र, शिलांग), उत्तर प्रदेश (गढ़वाल राइफल्स रेजिमेंटल केंद्र, लैंसडाउन, कुमाऊं रेजिमेंटल केंद्र, रानीखेत, राजपूत रेजिमेंटल सेंटर, फतेहगढ़ तथा एएमसी केंद्र एवं विद्यालय, लखनऊ), दिल्ली (युद्ध में शहीद नौसैनिकों की विधवाओं के लिए 30 अशक्त महिलाओं की क्षमता वाला विधवा गृह, 18/1, अरुणा आसफ़ अली रोड, नई दिल्ली 110057), तथा तमिलनाडु (युद्ध विधवा गृह, चेन्नई 600004)।

विकलांग सैनिकों का पुनर्वास

क्वीन मैरी तकनीकी संस्थान, पुणे

क्वीन मैरी तकनीकी संस्थान, (क्यूएमटीआई), रेन्ज हिल्स, पुणे, एक निजी धर्मार्थ संस्थान है जो दिव्यांग सैन्यकर्मियों, पूर्व सैन्यकर्मियों और उनके आश्रितों को आईटीआई से मान्यता प्राप्त पाठ्यक्रमों में प्रशिक्षण प्रदान करता है, जिसकी मुख्य विशेषताएं निम्नानुसार हैं :

पाठ्यक्रम अवधि शैक्षिक योग्यता
(a) फिटर दो वर्ष एसएससी उत्तीर्ण
(b) इलेक्ट्रीशियन पूर्वोक्त पूर्वोक्त
(c) रेडियो और टीवी मैकेनिक पूर्वोक्त पूर्वोक्त
(d) वायरमैन पूर्वोक्त पूर्वोक्त
(e) मैकेनिक, डीजल एक वर्ष एसएससी अनुत्तीर्ण
(f) स्टेनो (अंग्रेजी) पूर्वोक्त एसएससी उत्तीर्ण (अंग्रेजी में 50% अंक)
(g) कटाई एवं सिलाई पूर्वोक्त VIII उत्तीर्ण

सत्र की शुरुआत प्रतिवर्ष 1 अगस्त से होती है और अगले वर्ष 31 जुलाई को इसका समापन होता है। आगामी सत्र में प्रवेश के लिए 15 जुलाई तक आवेदन प्रक्रिया पूरी की जाती है।

प्रवेश के लिए आवेदन पत्र को निम्नानुसार प्रेषित किया जाना चाहिए:

  • दिव्यांग पूर्व सैनिक: संबंधित जिला सैनिक कल्याण अधिकारी और सचिव, राज्य सैनिक बोर्डों के माध्यम से
  • दिव्यांग सैन्यकर्मी: यूनिट के अभिलेख कार्यालय, सेना मुख्यालय (एजी शाखा) के माध्यम से
  • आश्रित: सीधे अधीक्षक, क्यूएमटीआई को आवेदन करेंगे

पाठ्यक्रम शुल्क

  • दिव्यांग पूर्व सैनिक: शुल्क और बोर्डिंग व्यय संबंधित राज्य सैनिक बोर्डों द्वारा देय है
  • दिव्यांग सैन्यकर्मी: सेवा से संबंधित यूनिट द्वारा देय है
  • आश्रित: व्यक्तिगत तौर पर देय है

दिव्यांग पूर्व सैनिकों के लिए क्यूएमटीआई परिसर में छात्रावास सुविधा उपलब्ध कराई जाती है। दिव्यांग सैनिक एमएएच, किरकी से सम्बद्ध होते हैं।

प्रशिक्षण। व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में प्रशिक्षण के लिए राष्ट्रीय परिषद द्वारा निर्धारित नियमों के अनुसार पाठ्यक्रम उपलब्ध हैं तथा सफल प्रशिक्षुओं को आईटीआई प्रमाणपत्र प्राप्त होता है, जिसकी सहायता से वे पूरे देश में कहीं भी रोजगार प्राप्त कर सकते हैं। इसके अलावा, वे शिक्षुता प्रशिक्षण एवं परीक्षाओं के दौर से गुजरने के बाद राष्ट्रीय व्यवसाय प्रमाणपत्र प्राप्त कर सकते हैं।

नियुक्ति/नियोजन। क्यूएमटीआई में प्रशिक्षण, दिव्यांग सैनिकों को आत्मनिर्भर होकर जीवन-यापन करते हुए अपनी सभी इच्छाओं की पूर्ति करने का अवसर प्रदान करता है। व्यवसायिक प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद दिव्यांग पूर्व सैनिक आसानी से नौकरी पा सकते हैं। स्वरोजगार की इच्छा रखने वाले लोग तकनीकी योग्यता एवं ज्ञान के साथ बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं।

किरकी और मोहाली में पक्षाघात पुनर्वास केंद्र (पीआरसी)

क्यूएमटीआई के अलावा, निम्नांगों के पक्षाघात एवं संपूर्ण पक्षाघात से ग्रस्त पूर्व सैनिकों के पुनर्वास के लिए किरकी और मोहाली में क्रमशः 80 और 30 बिस्तरों की क्षमता वाले पक्षाघात पुनर्वास केंद्रों का संचालन किया जा रहा है। प्रशिक्षण की अवधि के दौरान पूर्व सैनिकों को संबंधित राज्यों की ओर से वित्तीय सहायता भी प्रदान की जाती है। इन केंद्रों में वास्तविक तौर पर रखे गए प्रत्येक मरीज को दिए जाने वाले अनुदान के अलावा, केएसबी की ओर से किरकी और मोहाली के पीआरसी केंद्रों के अनुरक्षण के लिए एकमुश्त वार्षिक अनुदान राशि प्रदान की जाती है।

सेंट डन्स्टन उत्तर-सेवा संगठन

नेत्रहीन पूर्व सैनिकों को मनोवैज्ञानिक समर्थन देते हुए नेत्रहीनता के ख़ौफ़नाक सदमे से बाहर निकलने में मदद करने तथा उन्हें समाज में अपनी प्रतिष्ठा को वापस प्राप्त करने के साथ-साथ अपने परिवार को व्यवस्थित करने के लिए व्यवसायिक प्रशिक्षण देने और चिकित्सा के उपरांत देखभाल सेवाएं प्रदान करने के लिए सेंट डन्स्टन संगठन की स्थापना की गई थी। देहरादून में उप-समिति के समग्र नियंत्रण के तहत एक देखभाल अधिकारी के नेतृत्व में देखभाल संगठन इसके प्रशासनिक कार्यों को नियंत्रित करता है। क्षेत्रीय उप-कमांडर, देहरादून इसके अध्यक्ष हैं।

देश में नेत्रहीन पूर्व सैनिकों के कल्याण पर होने वाले व्यय को पूरा करने के लिए केन्द्रीय सैनिक बोर्ड, देहरादून स्थित उत्तर-सेवा संगठन को वार्षिक अनुदान प्रदान करता है। संगठन के संचालन के साथ-साथ नेत्रहीन पूर्व सैनिकों के प्रशिक्षण के लिए राष्ट्रीय दृष्टिबाधित संस्थान (एनआईवीएच) से संबंध को बरकरार रखने तथा एमएच देहरादून द्वारा प्रायोजित नए मामलों की देखभाल का दायित्व उत्तर-सेवा अधिकारी के पास होता है। सेंट डन्स्टन उत्तर-सेवा संगठन राजपुर रोड, पीओ- एनसीबी, देहरादून, 248001 में स्थित है।

दिव्यांग एवं अन्य शारीरिक विकलांगता से ग्रस्त पूर्व सैनिकों के लिए आवश्यक वस्तुओं को किसी भी व्यक्ति द्वारा शुल्क-मुक्त आयात करने की अनुमति है। इसके अलावा, डीजीएचएस/डीडीजीएचएस/एडीजीएचएस द्वारा जीवन रक्षक दवाई, औषधि, उपकरण के तौर पर मान्यता प्राप्त किसी भी दवाई, औषधि या उपकरण का भी शुल्क मुक्त आयात किया जा सकता है।

पक्षाघात से ग्रस्त पूर्व सैनिकों के लिए चिकित्सीय उपकरणों का शुल्क-मुक्त आयात

सीमा-शुल्क अधिसूचना सं. 208/81, दिनांकित 22 सितंबर 1981 के तहत, दिव्यांग एवं अन्य शारीरिक विकलांगता से ग्रस्त व्यक्तियों के लिए आवश्यक वस्तुओं को किसी भी व्यक्ति द्वारा शुल्क-मुक्त आयात करने की अनुमति की अनुमति दी गई है। अधिसूचना के अवलोकन से पता चलता है कि इसके अंतर्गत निम्नलिखित वस्तुओं को विशेष तौर पर शामिल किया गया है:

"गंभीर अपंगता एवं विकलांगता से ग्रस्त व्यक्तियों के कूल्हों, घुटने और अन्य जोड़ों के प्रतिस्थापन और जोड़ने के लिए उपकरण तथा प्रतिरोप (इम्पलांट), जिसके अंतर्गत स्व-संसाधित ऐक्रेलिक अस्थि सीमेंट शामिल हैं”

रीढ़ की हड्डी वाले मरीजों एवं अन्य शारीरिक विकलांगता से ग्रस्त लोगों के लिए आवश्यक निम्नलिखित मदों को शामिल किया गया है :

  1. व्हीलचेयर और अन्य कुर्सियाँ:
    • अलग किए जाने योग्य आर्म और फुट रेस्ट वाले फोल्डिंग व्हीलचेयर
    • आसान हैंडलिंग के लिए विशेष तौर पर निर्मित हल्के व्हीलचेयर
    • मोटरयुक्त व्हीलचेयर
    • निम्नांगों के पक्षाघात एवं संपूर्ण पक्षाघात से ग्रस्त कर्मचारियों के सीढ़ियां चढ़ने में मदद के लिए विशेष व्हीलचेयर
  2. विकलांगों के लिए सहायता उपकरण, अर्थात्, मोड़ने योग्य वॉकर
  3. छोटी वस्तुओं को उठाने में सहायता के लिए उपकरण (छोटे चुंबक से युक्त उपकरण)
  4. आर्थोपेडिक और स्पैस्टिक टेट्राप्लेगिक से ग्रस्त व्यक्तियों की अंगुलियों और कलाई को कुशलता एवं निपुणता प्रदान करने के लिए विशिष्ट जुड़नार
  5. शय्याव्रण की रोकथाम के लिए घूमने योग्य बिस्तर
  6. निम्नांगों के पक्षाघात एवं संपूर्ण पक्षाघात से ग्रस्त कर्मचारियों को शय्याव्रण से बचाने के लिए इमल्शन कुशन

इसके अलावा, इसी अधिसूचना के माध्यम से डीजीएचएस/डीडीजीएचएस/एडीजीएचएस द्वारा जीवन रक्षक दवाई, औषधि, उपकरण के तौर पर मान्यता प्राप्त किसी भी दवाई, औषधि या उपकरण का किसी भी व्यक्ति द्वारा शुल्क मुक्त आयात किया जा सकता है।

ठीक इसी प्रकार, सीमा-शुल्क अधिसूचना सं. 63/88 तथा सीमा-शुल्क अधिसूचना सं. 64/88, दिनांकित 01 जनवरी 88 के तहत सरकारी अस्पतालों एवं कुछ श्रेणियों के धर्मार्थ अस्पतालों को अपनी आवश्यकताओं के शुल्क-मुक्त आयात की अनुमति दी गई है।

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