माननीय उप राष्ट्रपति ने आईएसी (पी-71)/विक्रांत का दौरा किया

माननीय उप राष्ट्रपति श्री एम वेंकैया नायडू ने 2 जनवरी, 2022 को कोच्चि स्थित कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड में निर्माण के अंतिम चरण के दौरान स्वदेशी विमानवाहक पोत (आईएसी) 'विक्रांत' का दौरा किया।

इस यात्रा के दौरान भारत के माननीय उप राष्ट्रपति को परियोजना की विशिष्टता और निर्माण की प्रगति के बारे में जानकारी दी गई। उन्हें 'आजादी का अमृत महोत्सव' के उपलक्ष्य में अगस्त 2022 से पहले जहाज की सुपुर्दगी और कमीशनिंग की दिशा में किए जा रहे प्रयासों के बारे में भी जानकारी दी गई। माननीय उप राष्ट्रपति ने विमान वाहक के डिजाइन और निर्माण में राष्ट्र की क्षमता की सराहना की और इसकी 'आत्मनिर्भरता' या आत्मनिर्भर भारत के लिए हमारी खोज के एक शानदार उदाहरण के रूप में सराहना की।

भारतीय नौसेना हिंद महासागर क्षेत्र में एक विकट निवासी समुद्री शक्ति है; और विमान वाहक युद्ध समूह संचालन की अपनी अवधारणा का केंद्र है। विक्रांत भारतीय नौसेना को हमारे राष्ट्रीय हितों के पालन में अपेक्षित लचीलापन, गतिशीलता, पहुंच और युद्ध शक्ति प्रदान करेगा और भारतीय समुद्री क्षेत्र में शांति और स्थिरता के लिए एक मजबूत उत्प्रेरक के रूप में भी काम करेगा। एक विमान वाहक रणनीतिक और तकनीकी श्रेष्ठता की स्थिति भी रखता है, और युद्धपोत डिजाइन और निर्माण के क्षेत्र में उच्चतम शिखर माना जाता है। स्वदेशी विमानवाहक पोत के निर्माण के साथ, भारत विमानवाहक पोत के डिजाइन और निर्माण के लिए स्वदेशी क्षमता रखने वाले देशों के चुनिंदा समूह में प्रवेश करेगा।

आईएसी विक्रांत के भारत की स्वदेशी औद्योगिक क्षमता की पहचान होने के साथ भारतीय जहाज निर्माण उद्योग ने 1960 के दशक के बाद से एक लंबा सफर तय किया है। आईएसी के निर्माण में स्वदेशी सामग्री 19341 करोड़ रुपये की समग्र परियोजना लागत की 76% के करीब है। इस जहाज में भारतीय औद्योगिक घरानों और लगभग 100 एमएसएमई द्वारा निर्मित अन्य उपकरणों और प्रणालियों के अलावा स्टील जैसी बड़ी संख्या में स्वदेशी सामग्री है। वाहक के स्वदेशी निर्माण ने न केवल शिपयार्ड के भीतर बल्कि बाहरी रूप से परियोजना की सहायता करने वाले कई अन्य उद्योगों के लिए भी रोजगार के अवसर पैदा किए हैं। इसके परिणामस्वरूप घरेलू अर्थव्यवस्था पर "प्लग बैक" प्रभाव पड़ा है। आईएसी के निर्माण की दिशा में प्रतिवर्ष 2000 शिपयार्ड और 13000 गैर-यार्ड कर्मियों को रोजगार प्रदान किया गया है।

यात्रा के दौरान, माननीय उपराष्ट्रपति के साथ केरल के माननीय राज्यपाल श्री आरिफ मोहम्मद खान, चीफ ऑफ स्टाफ दक्षिणी नौसेना कमान रियर एडमिरल एंटनी जॉर्ज, एनएम, वीएसएम, सीएमडी कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड (सीएसएल) श्री मधु एस नायर और नौसेना तथा सीएसएल के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे। माननीय उपराष्ट्रपति को वाहक में घूमने के दौरान स्वदेशी प्रौद्योगिकियों और क्षमताओं के योगदान के बारे में बताया गया इस पर उन्होंने संतोष व्यक्त किया और हमारी स्वदेशी युद्धपोत निर्माण क्षमताओं को मजबूत करने की दिशा में भारतीय नौसेना और कोचीन शिपयार्ड के प्रयासों की सराहना की। माननीय उपराष्ट्रपति ने कोविड से संबंधित अपरिहार्यताओं के बावजूद अब तक किए गए कार्यों की प्रगति पर भी संतोष व्यक्त किया।

बाद में माननीय उप राष्ट्रपति ने 'आजादी का अमृत महोत्सव' के हिस्से के रूप में नौसेना भौतिक और समुद्र विज्ञान प्रयोगशाला का दौरा किया और डॉ एपीजे अब्दुल कलाम मेमोरियल का अनावरण किया। उन्होंने टो एरे इंटीग्रेशन प्रतिष्ठान की आधारशिला भी रखी और नौसेना को एक स्वचालित सोनार ट्रेनर सौंपा। माननीय उप राष्ट्रपति केरल की तीन दिवसीय यात्रा पर हैं और लक्षद्वीप के दौरे के बाद रविवार सुबह कोच्चि नौसेना हवाई अड्डे पर पहुंचे। इसके पहले दिन में उपराष्ट्रपति के सम्मान में भा नौ पो गरुड़ में  100 जवान गार्ड की औपचारिक परेड हुई

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