एएलएच (ध्रुव)
आईएनएएस 322
उन्नत हल्के हेलीकॉप्टर (एएलएच) जिसे ‘ध्रुव’ के तौर भी जाना जाता है, एलएएल, बंगलुरू द्वारा अभिकल्पित व निर्मित पहले स्वदेशी हेलीकॉप्टर हैं। एलएचएच को भारतीय नौसेना में 28 मार्च, 2002 को शामिल किया था। 10 फरवरी, 2003 को आईएनएस गरूड़ में गठित गहन उड़ान एवं परीक्षण इकाई (आईएफटीयू) ने इनका तीन वर्ष तक गहन उड़ान परीक्षण व मूल्यांकन किया। इसके उपरांत इस वायुयान को सैन्य अभियानों में शामिल होने की मंजूरी दे दी गयी एवं 01 सितंबर, 2005 को कोच्चि व गोवा में एएलएच की उड़ान की शुरूआत हुई। दिसंबर, 2009 को दो इकाईयों के समामेलन से एएलएच फ्लाइट कोच्चि नौसेना में एकमात्र एएलएच परिचालन इकाई रह गयी है। पहले एएलएच स्क्वाड्रन का कमीशन 12 नवम्बर, 2013 को आईएनएस गरुड़, कोच्चि में किया गया। यह एएलएच उन्नत खोज व बचाव कार्य, विशेष हेली-बोर्न प्रचालन, सशस्त्र पहरेदारी, निशानेबाजी, वीवीआईपी वाहक एवं नाइट एसएआर सहित विभिन्न प्रकार के मिशनों के कामों में लगा हुआ है। कमांडर रवि शिवशंकर इस स्क्वाड्रन के पहले कमांडिंग ऑफिसर हैं।
कमीशन समारोह पर प्रेस विज्ञप्ति:-
वाइस एडमिरल शेखर सिन्हा कमीशनिंग परेड का निरीक्षण करते हुए
वाइस एडमिरल, शेखर सिन्हा, फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ, पश्चिमी नौसेना कमान ने 12 नवम्बर, 2013 को कोच्चि में पहले एएलएच (ध्रुव) स्क्वाड्रन का कमीशन किया। ध्रुव हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड में अभिकल्पित व निर्मित पहला स्वदेशी हेलीकॉप्टर है। इसने अपनी बहुपयोगी क्षमताओं से तीनों सशस्त्र बल, भारतीय तटरक्षक बल, बीएसएफ की सेवाओं व विदेशों की साजो-सामान की सूची में अपनी क्षमता सिद्ध की है। इस स्क्वाड्रन का नाम भारतीय नौसेना वायु स्क्वाड्रन (आईएनएएस) 322 रखा जाएगा।
वाइस एडमिरल, शेखर सिन्हा स्क्वाड्रन के अधिकारियों का परिचय लेते हुए
कमीशन समारोह परोड को संबोधित करते हुए वाइस एडमिरल सिन्हा ने कहा कि नौसेना में ध्रुव हेलीकॉप्टर पूरी तरह से एक उन्नत खोज एवं बचाव (एसएआर) हेलीकॉप्टर के तौर पर परिवर्तित हो गया है जिसका इस्तेमाल हेलिबॉर्न अभियान एवं रात में देखने वाले उपकरणों से युक्त सशस्त्र पहरेदारी जैसे मिशनों के लिए भी किया जा रहा है। एडमिरल ने कहा कि ऐसी खोजपूर्ण मशीनें नौसेना के कम तीव्रता वाले समुद्री सैन्य अभियान (एलआईएमओ) एवं तटीय सुरक्षा के परिदृश्य को देखते हुए, नौसेना के लिए बहुत आवश्यक हो जाती हैं। वाइस एडमिरल सिन्हा ने आगे कहा कि विक्रमादित्य के कमीशन से हमारे कर्तव्य क्षेत्र में बढती समस्याओं का सही समय में सही जवाब देने की नोसैना की पहुंच व क्षमता में लंबी छंलाग दिखाई देगी। उन्होंने आगे कहा कि यूएवी, मिग 29के लड़ाकू वायुयान, पी 8 आई व ध्रुव जैसी हवाई संपत्ति ने हमारी ताकत को और बढ़ा दिया है।
कमीशन पट्ट का अनावरण करने के पश्चात श्रीमती मोना सिन्हा
वाइस एडमिरल सतीश सोनी, फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ, दक्षिणी नौसेना कमान जिनके प्रशासनिक नियंत्रण के अधीन आईएनएएस 322 काम करेगा, ने अपने संबोधन में कहा कि इस बहुपयोगी वायुयान को जल्द ही रात की एसएआर भूमिका निभाने के लिए मंजूरी दे दी जाएगी क्योंकि यह विश्व में समुद्र के ऊपर ऐसी क्षमता रखने वाले कुछ हेलीकाप्टरों में से एक है। उन्होंने संतोष व्यक्त किया कि एएलएच तटीय सुरक्षा ढांचे को भी मजबूती प्रदान करेगा। इससे पूर्व श्रीमती मोना सिन्हा ने एसएनएस 322 के तौर पर स्क्वाड्रन को नाम दिया एवं कमीशन पट्ट का अनावरण किया। इस स्क्वाड्रन के पहले कमांडिंग ऑफिसर, कमांडर रवि शिवशंकर ने सभी का अभिनंदन किया एवं कमीशन का वारंट पढ़कर सुनाया। यह स्क्वाड्रन एसएआर की अपनी प्राथमिक भूमिका को चरितार्थ करते हुए "निर्भयतापूर्वक खोजने, वीरतापूर्वक बचाव करने" के विश्वास व सिद्धांत के साथ स्वयं को "रक्षक" पुकारेगा। इस कमीशन समारोह का आयोजन नौसेना वायु स्टेशन एवं आईएनएएस 322 के मूल आधार (मदर बेस), आईएनएस गरूड़ में किया गया था।
रक्षक अपने लोगों के समीप कार्रवाई की मुद्रा में