डोर्नियर

आईएनएएस 550 – फ्लाइंग फिश

INAS 550 – The Flying Fish

भारतीय नौसेना के सबसे पुराना स्क्वाड्रन, यह वह इकाई थी जहां नौसेना विमानन का सूत्रपात हुआ, जहां यह पूर्ण रूप से शुरू हुआ एवं जहां से यह बढ़ा तथा जहां इसने आसमान को छूने के लिए पंख फैलाए। दो सीलैंड एवं पांच पायलट व दो प्रेक्षकों से मिलाकर बना नौसेना का पहला बेड़ा अपेक्षा इकाई (एफआरयू) का कमीशन 11 मई, 1953 को वेन्दुरथी द्वितीय, कोच्चि में किया गया था। लेफ्टिनेंट कमांडर वाईएन सिंह इसके कमीशनिंग स्क्वाड्रन कमांडर थे। एफएआरयू का लेफ्टिनेंट कमांडर वाईएन सिंह की कमान में 15 जून, 1959 को आईएनएएस 550 के तौर पर पुन: कमीशन किया गया।

फरवरी, 1954 में, इस स्क्वाड्रन ने दो फायरफ्लाई वायुयान अर्जित किए। स्क्वाड्रन ने 21 अप्रैल, 54 को अपने गौरव का पहले क्षण का अनुभव किया जब दो बैचों में छह वायुयान, एसएस गोथिक एवं उनकी रानी, क्वीन एलिजाबेथ के साथ कोलंबो से अदन जाते समय रक्षा के प्रयोजनार्थ गये थे। अक्‍तूबर, 1956 में इस स्क्वाड्रन में एचटी-2 वायुयान भी शामिल कर लिए गये एवं इस स्क्वाड्रन को सुलेर में आईएनएएस 550 ए (नौसेना जेट फ्लाइट) व कोच्चि में आईएनएएस 550-बी फ्लाइट के तौर पर विभाजित कर लिया गया।

वर्ष 1976 में इस स्क्वाड्रन को आइसलैंडर एयरक्राफ्ट से सुसज्जित किया गया एवं जनवरी, 1986 में इस स्क्वाड्रन में एचपीटी-32 वायुयान को शामिल किया गया। अक्‍तूबर, 1987 में स्क्वाड्रन ने 6 नौसेना पायलटों के पहले बैच के लिए एचपीटी-32 पर मूलभूत उड़ान का प्रशिक्षण पूरा किया। हालांकि इस प्रथा को बंद कर दिया गया एवं स्क्वाड्रन ने एचपीटी पर आगे मूलभूत उड़ान का प्रशिक्षण भी समाप्त कर दिया। इस स्क्वाड्रन को दिसम्बर, 1987 में श्रीलंका में आईपीकेएफ सैन्‍य अभियान की सहायता करने में सैन्‍य आक्रमण के सौंपे गये कार्य करते देखा गया।

Kamov 31 Helicopter

आइसलैंडर वायुयान (एयरक्राफ्ट)

अस्सी के उत्‍तरार्ध एवं नब्बे के दशक तक स्क्वाड्रन ने प्रेक्षक प्रशिक्षण, समुद्री टोह व गश्ती अभियानों के लिए व्यापक उड़ान भरी। नब्‍बे के उत्‍तरार्ध में कुछ पिस्टन-इंजन ब्रेटन नोर्मन आइलैंडर (बीएन 2बी) विमानों का टर्बो-प्रोप इंजन (बीएन 2टी) में उन्‍नयन किया गया एवं इस स्क्वाड्रन ने अपने पहले डोर्नियर वायुयान अर्जित किए। वर्तमान में आईएनएएस 550 का ऐसा स्क्वाड्रन बने रहना जारी है जो समुद्री टोह, गश्‍ती कार्य (पहरेदारी) एवं प्रेक्षक प्रशिक्षण की दिशा में सघन उड़ान भरने के प्रयास में खास महत्‍व रखते है।

Back to Top