आईएनएस विक्रमादित्य
आईएनएस विक्रमादित्य, 44,500 टन भार वाला, 284 मीटर लम्बा एवं 60 मीटर ऊँचा युद्धपोत है।। तुलनातमक तरीके से देखा जाए तो इसकी लंबाई लगभग तीन फुटबॉल मैदानों के बराबर तथा ऊंचाई लगभग 22 मंजिली इमारत के बराबर है। यह युद्धपोत सामरिक महत्व के कारण काफी प्रेरणादायक व उत्साह बढ़ाने वाला है। इस पोत में कुल 22 नौका तल विद्यमान हैं।
आईएनएस विक्रमादित्य
स्टोबार वाहक
डिसप्लेसमैंट : 44,500 टन
लंबाई ओए : 284 मीटर
अधिकतम ऊंचाई : 60 मीटर
गति : 30 समुद्री मील से अधिक
04 प्रोपेलर
08 बॉयलर द्वारा संचालित
मिग 29के, कामोव 31, कामोव 28, सी किंग, एएलएच, चेतक
पोत पर 1,600 से ज्यादा कर्मियों के साथ, आईएनएस विक्रमादित्य सचमुच 'चलता-फिरता शहर' है। 8,000 टन एलएसएचएसडी से अधिक की क्षमता के साथ यह युद्धपोत 7,000 से अधिक समुद्री मील या 13000 कि.मी. से अधिक की सीमा तक की सामरिक गतिविधि की क्षमता से युक्त है।
शुभारंभ समारोह के दौरान पूरी तरह से तैयार पोत
इस 44,500 टन के चलते-फिरते इस्पात के शहर को 30 समुद्री मील तक की गति से समुद्र की तरंगों के बीच से होकर जाने में सक्षम बनाने के उद्देश्य से इस पोत को 180,000 एसएचपी उत्पादन की कुल क्षमता उत्पादित करने वाले 08 नई पीढ़ी स्टीम बॉयलर द्वारा संचालित है। ये बॉयलर चार विशाल संचालक, प्रत्येक व्यास में औसत पुरुष की ऊंचाई से दोगुने से बड़े होते हैं। ऐसे चार प्रोपेलर - चार शाफ्ट कॉन्फ़िगरेशन भारतीय नौसेना में एक और पहला है।
पोत पर बिजली उत्पादन की क्षमता लगभग 18 मेगावाट है जो एक छोटे शहर की प्रकाश व्यवस्था की आवश्यकता को पूरा करने के लिए पर्याप्त है। लम्बी दूरी तक वायु में निगरानी करने वाले रडार, उन्नत इलेक्ट्रॉनिक युद्ध कक्ष के साजो-सामान सहित सेंसर में एक व्यापक सुधार इस युद्धपोत को इसके चारों ओर 500 किमी से अधिक की दूरी तक निगरानी करने में रक्षम है।
शुभारंभ समारोह के दौरान आईएनएस विक्रमादित्य पर भारत एवं रूस के सभी गणमान्य व्यक्तियों का सामूहिक फोटो
यह युद्धपोत मिग 29 के / सी हैरियर, कामोव 31, कामोव 28, सी किंग, एएलएच-ध्रुव एवं चेतक हेलीकॉप्टर सहित 30 से अधिक विमानों को ले जाने की क्षमता रखता है। पूरी तरह से घूमने वाला मिग 29 लड़ाकू विमान प्रमुख आक्रामक प्लेटफार्म है जो भारतीय नौसेना की समुद्री हमले की क्षमता के लिए लंबी छलांग की तरह है। हवा में मार करने वाला यह चौथी पीढ़ी की लड़ाकू विमान पोत-रोधी मिसाइल, देखने की सीमा से बाहर हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल, नियंत्रित बंब व राकेट सहित 700 एमएम एवं कई हथियारों के साथ भारतीय नौसेना का उत्साह बढ़ाने वाला है।
यह युद्धपोत विमान वाहक पोत के सुचारू एवं कुशल संचालन में सक्षम बनाने के साथ-साथ अत्याधुनिक लांच व रिकवरी प्रणाली से लैस है। मुख्य प्रणालियों में एमआईजी के लिए एलयूएनए लैंडिंग सिस्टम, सी हैरियर के लिए डीएपीएस लैंडिंग सिस्टम एवं फ्लाइट डेक लाइटिंग सिस्टम शामिल हैं।
विशाल एवं फुर्तीला; अपने समुद्री परीक्षण के दौरान
परिचालन नेटवर्क का वह मूल तत्व जो पोत पर लड़ाकू प्रणालियों में जीवन को प्रभावित करता है वह पोत के सेंसर एवं डेटा लिंक से डेटा इकट्ठा करने तथा विस्तृत सामरिक चित्रों को संसाधित करने, क्रमवद्ध करने व इकट्ठा करने की क्षमता के साथ कम्प्यूटर समर्थित कार्य सूचना संगठन (सीआईओओ), लेसोरुब-ई, प्रणाली है। यह अत्याधुनिक प्रणाली विशेष रूप से लड़ाकू विमान को नियंत्रण एवं दिशा देने के लिए विमान वाहक पर आवश्यक मांग को ध्यान में रखते हुए तैयार की गई है।
उड़ान भरने के डेक का रात का दृश्य
प्रतिरोधक-ई रडार कांपलैक्स पोत की अटारी पर लगाए गए सबसे प्रमुख उपकरणों में से एक है। प्रतिरोधक-ई एक ऐसी स्वचालित प्रणाली है जिसे हवाई यातायात नियंत्रण, पहुंच/उतरने एवं विमान वाहक पोत के लिए छोटी दूरी का विमानन उपलब्ध कराने की दृष्टि से तैयार किया गया है। यह कांपलैक्स अपनी विभिन्न उप-प्रणालियों के साथ-साथ आधार पोत से विस्तारित श्रेणियों में काम कर रहे विमान वाहक पोत को विमानन एवं विमान यातायात का डेटा उपलब्ध कराता है। सुस्पष्ट अभिगम मार्गदर्शन प्रणाली विमान रखने के स्थान से 30 मीटर की दूरी की ओर नीचे नियंत्रित होने के लिए अभिगम पर लड़ाकू विमानों की सहायता करती है। आईएनएस विक्रमादित्य में अपने बाहरी संचार की अपेक्षा को पूरा करने के लिए अत्याधुनिक संचार कांपलैक्स, सीसीएस एमके द्वितीय होने का गौरव प्राप्त है। लिंक द्वितीय सामरिक डेटा प्रणाली का अधिष्ठापन इसे भारतीय नौसेना के नेटवर्क से केंद्रित कार्यों के साथ पूरी तरह से एकीकृत करती है।
आईएनएस विक्रमादित्य अपने समुद्री परीक्षण के दौरान बाल्टिक सागर में